हार को जीत में बदलना है
हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे
हम मुश्किल से डरे क्यों बैठे
पथ पर जो अवरोध बिछे हो
उनको पाँव तले कुचलना है
हो जिजीविषा विश्वास अटल
धैर्य बुद्धि में, हो बाहों में बल
विफलता दामन पकड़े अगर
झटक कर हाथ निकलना है
हो दूर भले तट जितना भी
रख धैर्य मन में, बल उतना ही
मझधार ही जीवन लक्ष्य नहीं
माझी को भंवर से निकलना है
~नीरज आहुजा
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