गुरुवार, 27 अगस्त 2020

मुक्तक : कोरोना का डर - Corona Ka Dar

 कोरोना के डर से

Neeraj kavitavali

बह्र- 1222/1222/1222/1222
मिलाना  हाथ  को  छोड़ा, करें  सब  दूर  से   बातें।
ज़रूरी  ना  अगर  हो   तो   नहीं  करते  मुलाक़ातें।
कि  कोरोना से  डर से तो कोई आता  नहीं घर पर
लगा जमघट नहीं सकते, निकल सकती ना बारातें।
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नीरज आहुजा