मंगलवार, 20 जुलाई 2021

मुक्तक : कोरोना में कालाबाज़ारी Corona me kalabazari

 मुक्तक : कोरोना में कालाबाज़ारी


Neeraj kavitavali

एक  गयी  दूजी  है सर  पर, तीजे  की  तय्यारी  है।
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नाम नहीं  रुकने  का  लेती,  कैसी  यह  बीमारी है।
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उस पर महँगी बिकती साँसों , वाला गंदा खेल चला
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पता   नहीं   कोरोना  भारी,  या   कालाबाज़ारी  है।
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नीरज आहुजा 
यमुनानगर (हरियाणा)