रविवार, 2 अगस्त 2020

तरह तरह के हथकंडे - tarah tarah ke hathkande


Neeraj kavitavali

"तरह तरह के हथकंडे" 
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तरह  तरह  के  हथकंडे  जब,  चलते  दुनियादारी में

भेद  नहीं  कर  पाते  हैं फिर, यार  और  अय्यारी  में

रहे भरोसा नहीं  किसी पर, हर  पल  मन संदेह  करे

कौन खड़ा है साथ  सहज हो, कौन खड़ा मक्कारी में

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नीरज आहुजा 
स्वरचित