"तरह तरह के हथकंडे"
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तरह तरह के हथकंडे जब, चलते दुनियादारी में
भेद नहीं कर पाते हैं फिर, यार और अय्यारी में
रहे भरोसा नहीं किसी पर, हर पल मन संदेह करे
कौन खड़ा है साथ सहज हो, कौन खड़ा मक्कारी में
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नीरज आहुजा
स्वरचित