"बीत सकल मधु मास गया"
लावणी-छंद
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मैं अकेलाा बेपरवाह क्यूँ, तेरा भी तो हिस्सा है
झांक जरा तू देख गिरेबां, बीत गयाा जो किस्सा है
हर बार दिया ताना मुझको, जब भी तेरे पास गया
बीत गयी अब रैना भुगतो, बीत सकल मधुमास गया
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नीरज आहुजा
स्वरचित