रविवार, 18 जुलाई 2021

corona par muktak : Dekh kar man ro rha


Neeraj kavitavali

मार  कोरोना  हमें  क्यूँ,  पी लहू  खुश  हो  रहा।

काल की  छायी  घटा, जन और जीवन खो रहा।

दें भला कब  तक  दिलासा हौसला कर चुप रहें

अब सहन  होता नहीं  यह, देख कर मन रो रहा।

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नीरज आहुजा

यमुनानगर (हरियाणा)

Muktak : tasveerein chup hokar bhi

Neeraj kavitavali

तस्वीरें चुप  हो कर भी यह, हरपल  साथ  निभाती हैं।

कैद किये  जीवन भर के पल, पलकों  तले सजाती हैं।

देख देख जिनको हम जीते, ख़ुशहाली के  सब मौसम

साथ नहीं  जब होता  साथी, मन  कितना बहलाती हैं।

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नीरज आहुजा

यमुनानगर (हरियाणा)