मार कोरोना हमें क्यूँ, पी लहू खुश हो रहा।
काल की छायी घटा, जन और जीवन खो रहा।
दें भला कब तक दिलासा हौसला कर चुप रहें
अब सहन होता नहीं यह, देख कर मन रो रहा।
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नीरज आहुजा
यमुनानगर (हरियाणा)
मार कोरोना हमें क्यूँ, पी लहू खुश हो रहा।
काल की छायी घटा, जन और जीवन खो रहा।
दें भला कब तक दिलासा हौसला कर चुप रहें
अब सहन होता नहीं यह, देख कर मन रो रहा।
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नीरज आहुजा
यमुनानगर (हरियाणा)
तस्वीरें चुप हो कर भी यह, हरपल साथ निभाती हैं।
कैद किये जीवन भर के पल, पलकों तले सजाती हैं।
देख देख जिनको हम जीते, ख़ुशहाली के सब मौसम
साथ नहीं जब होता साथी, मन कितना बहलाती हैं।
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नीरज आहुजा
यमुनानगर (हरियाणा)