Pages
Home
Terms and conditions
Disclaimers
Privacy Policy
Contact us
शुक्रवार, 18 सितंबर 2020
मुक्तक : दिल लगाने आ गये - Dil lagaane aa gaye
मुक्तक : दिल लगाने आ गये
बह्र - 2122 2122 2122 212
शाम होते ही सितारे, टिमटिमाने आ गये
चाँद के पीछे पड़े हैं, दिल लगाने आ गये
भूलकर कल की पिटाई, छेड़ते हैं आज फिर
खोलते ही खिड़कियों को, आज़माने आ गये
---------
नीरज आहुजा
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)