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शुक्रवार, 18 सितंबर 2020
मुक्तक : दिल लगाने आ गये - Dil lagaane aa gaye
मुक्तक : दिल लगाने आ गये
बह्र - 2122 2122 2122 212
शाम होते ही सितारे, टिमटिमाने आ गये
चाँद के पीछे पड़े हैं, दिल लगाने आ गये
भूलकर कल की पिटाई, छेड़ते हैं आज फिर
खोलते ही खिड़कियों को, आज़माने आ गये
---------
नीरज आहुजा
1 टिप्पणी:
pankaj kumar
31 मई 2022 को 7:10 pm बजे
वाह वाह।
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