"थोड़ी सी हँसी"
थोड़ी सी हँसी
बचाकर रखना
मेरे लिए
ताकी जब मैं तुमसे मिलूँ
तो तुम्हारे चेहरे पर
मेरे नाम की
एक हल्की सी
मुस्कान सजी हो।
अच्छा लगेगा मुझे
गर तुम ऐसा कर सको।
वैसे कोई उम्मीद नहीं
तुमसे कुछ पाने की
मगर फिर भी
पता नहीं क्यूँ
ख्वाहिश कर बैठता हूँ
जब भी देखता हूँ तुम्हें।
शायद सिर्फ इसलिए
कि मुझे तुमसे
बाते करना
तुम्हारे साथ वक्त बिताना और
तुम्हें यूँ ही कईं घंटो तक
टकटकी लगाकार देखना
अच्छा लगता है।
क्या तुमको भी
अच्छा लगता है
मुझसे बाते करना,
तुम्हारा नाम लेने भर से
मेरे चेहरे पर आने वाली
हल्की सी मुस्कान देखना?
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नीरज आहुजा
स्वरचित रचना