गुरुवार, 13 अगस्त 2020

चाँद सितारे निकल गये-chand sitare nikal gye

 

Neeraj Kavitavali

चाँद सितारे निकल गये
मुक्तक 

रात  हुई  जैसे  तैसे  कर, चाँद  सितारे  निकल  गये

छुपे हुए थे मन भीतर भी , भाव  तुम्हारे  निकल गये

आँखों की  सरिताओं पर, जो बांध बनाकर बैठा था

शब्द उतारा काग़ज़ पर तो, जल के धारे निकल गये
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नीरज आहुजा 
स्वरचित