मुक्तक : मुझे धोखा दिया तूने
बह्र - 1222 1222 1222 1222
मुझे धोखा दिया तूने, मुझे दिल से निकाला है
कि तेरी बेरुख़ी ने दिल ये मेरा तोड़ डाला है
कभी होता था जिन होठों से मेरे नाम का सजदा
उसी होठों से तू अब गैर की जपती क्यूँ माला है
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नीरज आहुजा