बुधवार, 22 जुलाई 2020

बंदे मन मत हार - Bande man mat haar


नीरज कवितावलीके 

बंदे मन मत हार

आने वाले अवरोधो को
ज्यों काटे नदी की धार।
नदी सहज सरल बहती 
नदी सिखाती व्यवहार।
गिरकर फिर से
चलना सीखो 
यही जीवन सार।
बंदे मन मत हार!!
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नीरज आहुजा 
स्वरचित