शनिवार, 25 जुलाई 2020

सबको अपना ग़म प्यारा (Sabko apna gam pyara)


Neeraj kavitavali


" सबको अपना ग़म प्यारा"

सबको अपना ग़म प्यारा है, कौन किसी की कब सुनता

कौन  लगा  घावों  पर  मरहम, दामन   के  कांटे  चुनता

हर  पल  खोये  रहने   की आदत  में  यूँ  मजबूर   हुआ

छोड़ हक़ीक़त को  जीवन  की, ख़्वाब  सुनहरे  है बुनता