कंगना बनाम महाराष्ट्र सरकार - kangana ranaut vs maharashtra govt
1. कंगना ने मुम्बई को pok तब बोला जब उसे मुम्बई आने पर संजय राऊत द्वारा धमकी दी गई। फिलहाल प्रतिबंध तो pok जाने पर ही है ना। अगर किसी सरकार के उच्च पद पर आसीन राज्य सभा सांसद द्वारा किसी नागरिक को उसके अपने घर आने पर धमकी दी जाती है तो वह क्या बोलेगा? स्वाभाविक सी बात है इसी प्रकार बोलेगा।
2. कंगना को उसके आफिस पर अवैध निर्माण का नोटिस भेजा गया और 24 घंटो के भीतर ही सब तहस नहस कर कर दिया। यहाँ तक कि फर्नीचर भी नहीं छोड़ा गया जिसे कार्यवाही के दौरान हटाया जा सकता था। इतनी त्वरित कार्यवाही शिवसेना ' महाराष्ट्र सरकार' के दिमागी दिवालियापन को दर्शाती है।
सरकार कोई व्यक्ति नहीं होता लेकिन उसका शीर्ष नेतृत्व किसी व्यक्ति द्वारा ही किया जाता है। और इससे प्रतीत होता है शिवसेना ' महाराष्ट्र सरकार का नेतृत्व कितनी छोटी सोच का है।
3. अगर कंगना घर तोड़ा तो साथ वाला डिजाइनर मनीश का घर क्यों छोड़ा?
और उसे जवाब देने के लिए 7 दिन का समय क्यूँ?
जबकि कंगना को तो एक दिन का समय भी नहीं मिला।
यह बताता है कि शिवसेना ने सत्ता को हथियार बना कर एक अकेली लड़की पर प्रहार किया है। कभी सोचकर देखना किसी राज्य की सरकार अगर एक अकेली लड़की के पीछे पड़ जाए तो उसकी अवस्था कैसी होगी?
कंगना ने अपने डर का सही आंकलन किया और शिवसेना 'महाराष्ट्र सरकार ने कंगना का आफिस तोड़ कर यह साबित भी कर दिया कि यह 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर' जैसा है। अगर केंद्र में या हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होती तो शायद कंगना के साथ इससे भी बुरा बर्ताव होता।
लेकिन जो हुआ अच्छा ही हुआ क्यूँकि अब शिवसेना जिसे मैं "naughty सेना" कहना चाहूंगा कि औकात कंगना की जूती की नोक के बराबर भी नहीं रही।
एक समय था जब शिवसेना के राष्ट्रवाद पर गर्व किया जाता था और एक अब का समय जब उसे "Naughty सेना" कह कर उस पर थूकना तो दूर, हम उसकी तरफ देखना भी नहीं चाहते।
4. शिवसेना 'महाराष्ट्र सरकार' का यह रवैया कंगना के विरूद्ध इसलिए है क्योंकि
👉 कंगना ने बालीवुड में ड्रग्स के खिलाफ बोला जिसमें कि टाॅप लोगों का नाम सामने आये।
👉 सुशांत के लिए आवाज़ उठाते हुए मुम्बई पुलिस को कठघरे में लिया क्योंकि मुम्बई पुलिस सही ढंग से जांच नहीं कर रही थी।
शिवसेना सत्ता की भूखी है जिसने की सत्ता की भूख के लिए राष्टवाद को पाँव की जूती बना डाला। लेकिन इसी के साथ शिवसेना जिसका नया नाम "naughty सेना" है, भी हमारे पाँव की जूती के नीचे चिपकी हुई गंदगी के सिवा और कुछ नहीं। जो कि आने वाले समय में एक अतीत बनकर रह जाएगी।
5.
👉 मुम्बई पुलिस ने सुशांत केस में कार्यवाही क्यों नहीं की?
👉 उसे रफा दफा करना क्यों चाहा?
👉 सुशांत केस जितना बड़ा ड्रग्स का एंगल निकला है उससे मुम्बई पुलिस संदेह के घेरे में है।
मतलब कहा तो यह गया कि यह सीधा सादा आत्महत्या का केस है लेकिन वास्तविकता तो इसके बिल्कुल उलट निकली। जहाँ पर एक इन्सान को तिल तिल करके मारा गया है।
6.
👉 दिशा सालियान केस में भी मुम्बई पुलिस ने कुछ नहीं किया।
👉 इसमें भी जो सच सामने आया है वो बहुत ही गंदा और भयानक है। अगर सुशांत के केस की cbi inquiry ना होती तो शायद 'दिशा सालियान' के बारे में कुछ भी सामने ना आता।
मतलब यहाँ तो मुम्बई पुलिस की बेशर्मी की हद हो गई। जाहिर सी बात है इसमें भी बड़े बड़े नाम शामिल हैं।
उम्मीद करता हूँ इस बार मछलियों से ज्यादा मगरमच्छ पकड़े जाएंगे।
7. करण जोहर की पार्टी का जो विडियो वायरल हुआ उसमें साफ नज़र आ रहा है कि सभी लोगों ने ड्रग्स ली हुई है। लेकिन शिवसेना ' महाराष्ट्र सरकार' इसकी जांच करने की बजाय बदले की भावना के चलते सत्ता का दुरुपयोग करते हुए अध्ययन सुमन के उस विडियो को आधार बनाकर ड्रग्स की जांच करना चाहती है जो कि 2015 का है। जिसमें कि सिर्फ कंगना पर इल्ज़ाम लगाया गया। कंगना तो खुद स्वीकार कर चुकी है कि एक समय था जब वह गलत लोगों के चंगुल में फस गई थी। जितनी बेबाकी से कंगना ने अपने अतीत के बारे और हर उस विवाद के बारे में खुलकर बात की। कंगना की ज़िन्दगी एक खुली किताब की तरह है जिसमें कुछ भी छिपा हुआ नहीं है।
लेकिन करण जौहर की पार्टी के विडियो में तो सब सामने साफ साफ दिखाई दे रहा है कि इन लोगों ने ड्रग्स ली हुई है। एक जगह तो टेबल पर white powder दिखाई भी दे रहा है। इतना सब होने के बाद भी जो लोग यह कह रहे कि मुम्बई को बदनाम किया जा रहा है। यह उनके लिए ही बहुत शरम की बात है।
8. जब नाम तो मुम्बई, शिवसेना और बालीवुड का लिया जा रहा है तो लोग यह कयों कह रहे है कि "पूरे स्टेट को बदनाम क्यों किया जा रहा है?"
मुम्बई कोई स्टेट है क्या? मुझे तो लगा था 'महानगर' है।
9. जितने लोग भी यह कह रहे हैं कि मुम्बई या बालीवुड को बदनाम ना किया जाए तो कृपया करके पहले यह कह कर माफ़ी मांगे कि जो बालीवुड ने पूरे पंजाब को बदनाम किया "उड़ता पंजाब" कह कर वो गलत था। फिर उसके बाद अपनी बात रखें।
10. मुम्बई में ऐसा कौन सा अपराध है जो नहीं होता? जिस्मफरोशी से लेकर नशा खोरो का केंद्र है मुम्बई।
11. "जया बच्चन ने रवि किशन पर पलटवार करते हुए राज्यसभा में बयान दिया कि "जिस थाली में खाया उस थाली में छेद किया "
तो पहले तो रवि किशन ने ही कह दिया कि कौन सी थाली? कैसी थाली? और अगर थाली में ज़हर है तो उसमें छेद करना जरुरी हो जाता है।
रवि किशन द्वारा जया बच्चन को दिए गए जवाब को छंद बद्ध करते हुए मैं बस यही कहना चाहूंगा।
जिस थाली में ज़हर दिया है, उस थाली में छेद करो
कलाकार हैं या पाखंडी, दोनों में अब भेद करो
जनता ने विश्वास किया तो, तुमको नायक कह डाला
लेकिन सर चढ़ बैठ गये तुम, जैसे चढ़ती है हाला
©नीरज, नीरज कवितावली
और दूसरी बात मैं कहना चाहता हूँ कि बालीवुड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो भी पहचान मिली वो उत्तर भारतीयों जिसमें हिंदी और पंजाबी, दोनों ही लोगों के कारण मिली इस बात को भूलना नहीं चाहिए। उत्तर भारत बालीवुड की रीढ़ की हड्डी है जिस दिन यहाँ के लोगों ने बालीवुड को ना कह दिया उस दिन बालीवुड एक क्षेत्रीय सिनेमा तक ही सीमित रह जाएगा। इसलिये जो लोग अकड़ में है उन्हें उत्तर भारतियों से नफरत करने की बजाय इनका एहसान मानना चाहिए।
आज कल दिग्विजय सिंह का भी एक बयान काफी प्रचलन में है। जिसमें वो कह रहे हैं
"मुम्बई को तो बाहरी लोगों ने बसाया है। स्वयं ठाकरे परिवार भी उतर भारत से है। असल में देखा जाए तो में मुम्बई तो मछुआरों की है"
फिलहाल तो दिग्विजय सिंह की बात यकीन करने मन नहीं करता लेकिन अगर यह सच है तो महाराष्ट्र, मुम्बई को अपनी जागीर समझना छोड़ दे। नहीं तो मुम्बई में सिर्फ मच्छि बाजार ही नज़र नहीं आएगा।
12. शिवसेना 'महाराष्ट्र सरकार' को और कुछ सामान्य से भी कम बुद्धि वाले लोगों को कंगना के "तू" पर आपत्ति है लेकिन संजय राऊत जैसे ओझे व्यक्तिगत वाले व्यक्ति द्वारा कंगना को 'हरामखोर लड़की' कहना सामान्य बात लगा। वाह! रे Naughty लोगों क्या बात है तुम्हारे मानसिक संतुलन की।
बेशर्मी तो तब और बढ़ जाती है जब संजय राऊत कहता है कि 'हरामखोर' शब्द सामान्य शब्द है और यह प्यार से बोला जाता है जैसे english में बोलते है वैसी ही।
तो महामूर्ख आदमी यह शब्द, जब दो दोस्तों के बीच बोला जाए जिसमें कि bonding हो तब तक ही ठीक रहता है और जहाँ विरोध की बात आए तो यही शब्द इंसान व्यक्तित्व पर प्रहार करता है खासकर तब जब यह किसी महिला को कहे जा रहें हो।
तो क्या संजय राऊत यह कहना चाहते है कि कंगना का आफिस भी प्यार में ही बुलडोजर से तोड़ा गया।
और "तू" संदर्भ में मैं यही कहना चाहता कि जब "तू" दो दोस्तों के बीच बोला जाता है तो यह प्यार ही दर्शाता है लेकिन जब यह विरोध में बोला जाता है तो इसका मतलब यही होता है कि अब उसकी नज़र में सामने वाले के लिए कोई सम्मान नहीं रह गया। जिसका घर टूटा उसका "तू" बोलना बहुत सामान्य बात है। बल्कि मैं तो यह कहूँगा कि बहुत कम बोला गया।
अंत में कंगना ने अपना आफिस तोड़े जाने के बाद उद्भव ठाकरे को जवाब दिया था उसे छंद बद्ध करके लिखना चाहा।
अभी टूटा है घर मेरा, अहं तेरा भी टूटेगा
कि हाथो से तेरे इस झूठ का परचम यह छूटेगा
बना सत्ता को तू हथियार मुझको है डराता सुन
घड़ा भरता है जब भी पाप का लाजिम है फूटेगा
©नीरज ' नीरज कवितावली
जय हिन्द, जय भारत