शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

अधूरा सफ़र - adhoora safar


Neerajkavitavali

"अधूरा सफर"

मैं जानता हूँ,
मैं छोड़ दूंगा
ये सफर भी अधूरा 
और शायद पकड़ लूंगा
 कोई नयी अनजानी राह, 
कोई पगडंडी
या फिर कोई कच्चा रास्ता 
जो कि अचानक से
नजर आ जाता है
पक्की सड़कों पर चलते हुए
नीचे की तरफ।
क्योंकि मैं जानता हूँ
मेरी कोई मंजिल नहीं,
कोई पड़ाव नहीं,
कोई किनारा नहीं
जहांँ बैठकर कुछ पल के लिए
मैं ये सोच सकूँ कि मैंने
क्या पाया और क्या खोया
इस सफर पर चलते हुए। 
मैं तो चलते चलते
छोड़ दूंगा
एक दिन ये सांसे भी
बिना किसी
आखिरी ख्वाहिश के।
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नीरज आहुजा 
स्वरचित 

गुरुवार, 30 जुलाई 2020

पहले जैसी बात नहीं - pahle jaisi baat nhi


Neerajkavitavali


"पहले जैसी बात नहीं" 

सूरज उगता ढल जाता है होते अब दिन रात नहीं
समय गुजरता रहता है बस पहले जैसी बात नहीं

छोटी-छोटी खुशियों में जब, जीवन का रस लेते थे
हम बचपन में  बेमतलब की, बातों पर हँस लेते थे
ठूंठ हुए  मन की डालों पर, उगती  कोई पात  नहीं
समय  गुजरता  रहता है बस पहले जैसी बात नहीं

कश्ती अपनी और चली किस, धारा देखा करते थे
कूद पड़े  कीचड़  देखा  ना, गारा   देखा  करते  थे
सावन आते जाते  रहते, होती  अब  बरसात  नहीं
समय गुजरता रहता है बस, पहले जैसी  बात नहीं

बुधवार, 29 जुलाई 2020

ढोल बजने लगे - Dhol bajne lage


Neerajkavitavali

"ढोल बजने लगे"

बिजलियाँ चमकी, गड़ा गड़ ढोल फिर बजने लगे
चाँद  तारे    गीत  गा  सावन   बुला  भजने   लगे 
आसमां   में  बादलों  का  शामियाना  ओढ़   कर
रात   दिन  महफ़िल   सजाते  नाचने  सजने लगे

अपने ही मन की करना - Apne hi man ki karna


Neerajkavitavali


अपने ही मन की करना

सबकी बातें सुन लो लेकिन, अपने ही मन की करना
राह अगर बतलाए कोई, सोच  समझकर पग  धरना 
भला  बुरा  सब अपने  हाथो, में  ही  होता  है सबका
जैसा   कर्म   करे  है  कोई,  पडे़   उसे  वैसा   भरना

मंगलवार, 28 जुलाई 2020

चा़ँद तारे रात भर chand tare raat bhar


Neerajkavitavali

चाँद तारे रात भर

चाँद  है  चमके, सितारे  टिमटिमाते  रात भर
जागते हैं किसलिए, महफ़िल सजाते रात भर
खिड़कियों  के  जब हटा परदे इन्हें हम देखते
हैं  जमीं  से दूर कितने पर   लुभाते  रात  भर

सोमवार, 27 जुलाई 2020

मयस्सर नहीं होता - mayassar nhi hota


Neerajkavitavali

तेरी अना का
मेरी चाहत के साथ
कभी बसर नहीं होता।।
तू चाँद से ज्यादा
खूबसूरत तो है
लेकिन मुझको
मयस्सर नहीं होता।।
मेरे इश्क़ की सुबह
रात की चौखट पर
दम तोड़ जाती है
और तू है के तुझ पर कोई
असर नहीं होता।।

रविवार, 26 जुलाई 2020

बिगड़ जब भाव जाते - bigad jab bhaav jaate


Neeraj kavitavali

  • बिगड़ जब भाव जाते हैं

उछलते  कूदते  कितना, मगर  कुछ काम ना  आते
चलें  अपने  मुताबिक  ही, बिगड़ जब भाव हैं जाते
कलम करती रहे कोशिश, ग़जल मुक्तक नहीं बनते
उतरते  भाव  ना  मन  से, नहीं  हैं   शे'र   बन  पाते

शनिवार, 25 जुलाई 2020

सबको अपना ग़म प्यारा (Sabko apna gam pyara)


Neeraj kavitavali


" सबको अपना ग़म प्यारा"

सबको अपना ग़म प्यारा है, कौन किसी की कब सुनता

कौन  लगा  घावों  पर  मरहम, दामन   के  कांटे  चुनता

हर  पल  खोये  रहने   की आदत  में  यूँ  मजबूर   हुआ

छोड़ हक़ीक़त को  जीवन  की, ख़्वाब  सुनहरे  है बुनता

शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

प्यार करो मुझसे - pyar karo mujhse


नीरज कवितावली


"प्यार करो मुझसे" 


हाँ! चाहा मैंने  ये तुम से, तुम भी प्यार करो  मुझसे 
हार बना बाँहों का अपनी, तुम  मनुहार करो मुझसे 
गुज़र गये तुम बिन सूखे ही, पहले के सावन कितने
अब की  बारी देर करो ना, आ  इक़रार करो मुझसे

गुरुवार, 23 जुलाई 2020

परिंदे-हिंदी कविता, parinde-hindi Kavita

"परिंदे"

उड़े परिंदे
गगन गगन 
रहे मगन
दाना चुगते
भूख मिटाते
नदी किनारे
प्यास बुझाते
बनाते घोंसला 
तिनक तिनका बीन।

parinde


"उम्मीद के परिंदे "

उम्मीद के परिंदे
जब बैठते है
मन की डाल पर
दे जाते है नई राह
नई उमंग, नई तरंग
एक सुकून
आगे बढ़ने के लिए। 

बुधवार, 22 जुलाई 2020

बंदे मन मत हार - Bande man mat haar


नीरज कवितावलीके 

बंदे मन मत हार

आने वाले अवरोधो को
ज्यों काटे नदी की धार।
नदी सहज सरल बहती 
नदी सिखाती व्यवहार।
गिरकर फिर से
चलना सीखो 
यही जीवन सार।
बंदे मन मत हार!!
_________

नीरज आहुजा 
स्वरचित 

मंगलवार, 21 जुलाई 2020

पेड़ की छाँव - ped ki chhaanv


Neeraj kavitavali

"पेड़ की छाँव"

छूट रहा था
बदन से पसीना। 
सर पर सूरज और
जेठ महिना ।
चल चल कर
थक गए थे पाँव।
दो घड़ी सुकून के लिए
 बैठा पेड़ की छाँव ।

नीरज आहुजा
स्वरचित 

सोमवार, 20 जुलाई 2020

उम्मीद की रोशनी - Ummeed ki roshni


Neeraj kavitavali


मुक्तक 
बह्र- 2212-2212-2212-2212

धर  हाथ  पर  क्यूँ  हाथ  को  बैठे  रहो  मलते रहो

क्यूँ दोष  दो मिलता नहीं कुछ, आग में जलते रहो

किस्मत उसी की, कर्म की जो  राह पर चलता रहे

मन में  जगा  उम्मीद  की  तुम  रोशनी  चलते रहो

नीरज आहुजा
स्वरचित 

रविवार, 19 जुलाई 2020

सब रूप ज़िन्दगी के - sab roop zindagi ke



Neeraj kavitavali

हद  से  गुज़र  गये  हैं, ज़द  पार  हो  गये  हैं

सब   रूप   ज़िन्दगी  के  बेकार  हो  गये   हैं

पढ़ कर  जिसे  भुलाना आसान  है  बड़ा  ही 

बीते  हुए  दिनों  का   अख़बार  हो    गये  हैं

शनिवार, 18 जुलाई 2020

ताजमहल बनवा दूंगा - Tajmahal Banwa Dunga


Tajmahal Banwa Dunga, Neeraj Kavitavali

एक बार तो कहकर देखो, तुम पर जान लुटा दूंगा

कदम तुम्हारे आसमान के, तारे  तोड़  बिछा  दूंगा

बड़बोले   बनकर  माशूक़ा,  से  वादे माशूक़  करें

गर मेरी  मुमताज़ बनो तुम, ताजमहल बनवा दूंगा 

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

मंज़िलें इंतज़ार करती हैं - manzile intezar karti hai

neerajkavitavali
मंज़िलें इंतज़ार 
करती  हैं।।
राहगीरों की आह
भरती हैं।। 
कर्म के पथ पर
कोई चलकर आए
तो भर लेती हैं
बांहों में अपनी, 
हाथों की लकीरें
तभी तो इनसे
बहुत डरती हैं।।

नीरज आहुजा 
स्वरचित

गुरुवार, 16 जुलाई 2020

सब सुरक्षित रहें - Sab surakshit rahen



Neerajkavitavali

बह्र- 2122/2122/2122/212

सब  सुरक्षित  ही   रहें,  कोई  नहीं  बेहाल  हो

हो  नहीं   नुकसान  कोई  जान  हो या माल हो

आपदा  बरसात  बन  कर आ गयी जो  सामने

है घड़ी मुश्किल मगर, अरदास कर ना काल हो 

बुधवार, 15 जुलाई 2020

ख़्यालों का संघर्ष समय- khyalon ka sangharsh samay


ख़्याल आए थे, 
मर गए जे़हन मे ही!! 
दोषी कौन? 
पता नही!! 

Neeraj kavitavali


कुछ देर ठहरते
तो जीते कागज़ पर 
अपनी ही कोई उम्र, 
 
मगर संघर्ष नहीं कर पाये।
लगा के जैसे आत्मा मर गई, 
शरीर धारण करने से पहले। 

दाह से वाह के मध्य
ख़्यालों का संघर्ष समय होता है! 

मंगलवार, 14 जुलाई 2020

रहे ना चैन से दिन भर - rahe naa chain se din bhar

रहे  ना  चैन  से   दिन  भर, रात  को  सो  नहीं  पाता 

सिवा दिल इश्क़ के बस और कुछ भी  काम ना आता 

नजर भर  देखने  से  ही  किसी  की  हो  चले  घायल

पता चलता नहीं दिल का कि जब तक खो नहीं जाता

बह्र - 1222 1222 1222 1222

नीरज कवितावली



सोमवार, 13 जुलाई 2020

विपदा से ना घबराओ - vipda se na ghabrao

अगर  मगर  की  बातें  छोड़ो, जो करना है कर जाओ

ऐसा  ना  हो  समय गवा दो, और  बाद  में  पछताओ

हार जीत को सोच अभी ना, पहले कर चलना निश्चित

ठोकर  से   ना   डर  कर बैठो, विपदा से  ना घबराओ

Neeraj kavitavali

रविवार, 12 जुलाई 2020

सुख है तो बस इतना है - sukh bas itna hai

दिल की क्या  तस्दीक करें, कैसे जाने  कितना है

दर्द जगह  छोड़े जितनी, सुख है तो बस इतना है

भाव बदल दिल के देखो, दिल तस्वीर बदल देगा

राजी उसमें ही रहना, जिसको मिलता  जितना है

Neeraj Kavitavali

शनिवार, 11 जुलाई 2020

छोड़ हमें जाने वाले - Chhod hme jaane wale

छोड़  हमें  जाने  वाले,  लौट  नहीं  फिर  आते  हैं

घाव नहीं दिल के भरते, जब तक हम सहलाते हैं

कैसे  जाने  मजबूरी, किसकी  क्या  हो सकती है

कौन बताता है दिल की, दिल  में  जो  भी बाते हैं

Neeraj kavitavali

शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

मन काग़ज़ की नाव - mann kaagaz ki naav

हिम्मत  की  चोटी  पर  चढ़कर, डरता नहीं  ढलानो  से

मन  काग़ज़  की  नाव  उतारे,  लड़  पड़ता  तूफानों से

भय ना हावी हो जो मन पर, मानो कुछ भी कर सकता 

काट  काट   मैदान   निकाले,  राह   खड़ी  चट्टानो   से


गुरुवार, 9 जुलाई 2020

अभी और जीना है - Abhi aur jeena hai

अभी तो और जीना है अभी हथियार  क्या  डालें

"नहीं  कुछ  फायदा होगा" वहम बेकार  ना पालें

करे मेहनत अगर जी से मिलेगा कर्म का फल भी

नहीं  उम्मीद  को  छोड़ें, कदम पीछे  कभी  ना लें

बह्र - 1222-1222-1222-1222

नीरज कवितावली

बुधवार, 8 जुलाई 2020

अनुभव से चलता जीवन - anubhav se chalta jeevan

अनुभव  से  चलता  है जीवन, चलता  नहीं निसाबों से

पढ़ा लिखा भी  काम नहीं कूछ,आता  हमें  किताबों से

हर पग नई  चुनौती मिलती, जहाँ जहाँ भी कदम  रखें 

सूझ बूझ से हल मुश्किल हो, तय ना किसी जवाबों से

Neeraj Kavitavali

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

विजय वही फिर पाता है - vijay wahi fir pata hai

सुबह  रोज  जो  निकले सूरज, शाम हुई  ढल  जाता है

नित्य अडिग निज पथ पर रहना,चलना हमें सिखाता है

धूप  छाँव   जीवन   में   सबके,  आते  जाते   रहते  हैं

रुका नहीं जो  कर्म  हीन हो, विजय वही  फिर पाता है

नीरज कवितावली




इश्क़ मुहब्बत - ishq muhabbat

दिल देकर फिर मांगा जाए, बात समझ ना आती है
प्यार कहें या कहें तिजारत, जात समझ ना आती है
हँसता है  तो  कोई रोता, इश्क़ मुहब्बत  में पड़ कर
जीत हुई हो  कैसे किसकी, मात समझ ना आती है 

Neeraj kavitavali


सोमवार, 6 जुलाई 2020

रात की बहती नदी - raat ki bahati ndi

दूरियाँ  जब  से  बढ़ी  है,  चाँद  तारे  देखते

रात  की  बहती नदी  के बन  किनारे देखते

याद ही  बाकी बची  जिसके  सहारे जी रहे

साथ में मिलकर हसीं जो दिन गुजारे देखते

बह्र- 2122-2122-2122-212

नीरज कवितावली

तुम्हें देखा नहीं जब से - tumhe dekha nhi jab se

तुम्हें  देखा  नहीं  जब  से, तुम्हारी  याद  आती  है

यही  इक चीज जो  दिल  में  तुम्हारे बाद आती है

भले तुम रोक लो कितना, तुम्हारा बस नहीं चलता 

तुम्हारी  कैद  से  होकर  मगर  आजाद  आती  है

बह्र - 1222 1222 1222 1222

Neeraj Kavitavali
 

रविवार, 5 जुलाई 2020

शायद यही मंजूर था- shayad yahi manzoor tha

बह्र : 2212 2212 2212 2212

धर हाथ तब बैठा रहा, जब तक कि दुश्मन दूर था

जब आ गले आफत गई,  कहने  लगा मजबूर  था

भूं डाल कर हथियार  को, हो कर्महीन लड़ता नहीं
 
फिर  मान  ले, भगवान  को  शायद यही मंज़ूर था

नीरज कवितावली

शनिवार, 4 जुलाई 2020

प्यार की ताक़त - pyar ki takat

बह्र: 2122 2122 2122 212

सर झुका   छोटा नहीं  होता कभी, जो  मीत हो

प्यार वो ताक़त कि जिसमें हार कर भी जीत हो

दुश्मनी   टिकती  नहीं   है  सामने  इसके  कभी

चाहतों  को  दे  जगा, कितना  भले  विपरीत हो

Neeraj kavitavali

शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

कर्म का प्रतिफल

जीवन में कब, कहाँ,
कुछ भी
होता है
बिना प्रतिफल के।। 
जो बोया वही काटा। 
जो किया अर्पण
वही है आता
पलटकर चल के।। 
कुछ भी नहीं जाता व्यर्थ 
जो भी किया,
सोचा, समझा
या कहा गया 
होती है सब की
एक प्रतिध्वनि 
प्रेम, कुंठा, सम्मान 
और छल भी
मिलता है बदले छल के।। 

गुरुवार, 2 जुलाई 2020

साथ सभी के यारी रख

हिम्मत रख, खुद्दारी रख
कभी न तू लाचारी रख।
कर्म निरंतर करता जा
थक कर ना बेकारी रख। 
आएं जो अवरोध कभी
दोनों हाथ कटारी रख।
गिरना, उठना, चलना है
मन को न कभी भारी रख।
हार मान कर बैठ नहीं 
सफर हमेशा जारी रख।
हँसना सीख, हँसाना भी
साथ सभी के यारी रख।

~नीरज आहुजा 
स्वरचित 

बुधवार, 1 जुलाई 2020

कुछ गाड़ियां कभी नहीं रुकती

कुछ गाड़ियां
कभी नहीं रूकती
उन्हें हती है हमेशा
भागने की
दोड़ने की
अपने निर्दिष्ट
स्थान की तरफ
ना तो उन्हें कोई 
पंक्चर की दुकान
नज़र आती है
और न ही ढाबा
कोई स्पीड ब्रेकर भी
उनकी रफ्तार को
कम नहीं कर पाया
कुछ गाड़ियां यूँ ही रहती है
भागती दोड़ती
किसी सराय की परवाह 
किए बगैर
अपने गंतव्य की और
निरंतर ।
~नीरज आहुजा
स्वरचित