रविवार, 19 जुलाई 2020

सब रूप ज़िन्दगी के - sab roop zindagi ke



Neeraj kavitavali

हद  से  गुज़र  गये  हैं, ज़द  पार  हो  गये  हैं

सब   रूप   ज़िन्दगी  के  बेकार  हो  गये   हैं

पढ़ कर  जिसे  भुलाना आसान  है  बड़ा  ही 

बीते  हुए  दिनों  का   अख़बार  हो    गये  हैं