शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

जिंदगी की रील में -Zindagi ki reel me


"ज़िन्दगी की reel में"

Neeraj kavitavali

ज़िन्दगी की reel में

कोई cut paste की

option नहीं होती।

सब कुछ निरंतर

play होता रहता है।

किसी director को

action और cut कहने की भी

जरूरत नहीं पड़ती।

संवाद भी लिखित नहीं होते।

और retake भी नहीं लिया जाता।

हर shot को perfect

shot मान लिया जाता है।

किरदार भी acting नहीं करते

बल्कि उन्हें जीना पड़ता है

हर परिस्थिति को

अपनी सूझ बूझ और

क्षमता अनुसार। 

जिन्दगी की रील

किसी 70 mm के परदे पर

release नहीं होती।

बल्कि ये तो

किसी theater पर चल रहे

drama की तरह

चलती है live.

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नीरज आहुजा 

स्वरचित