"ज़िन्दगी की reel में"
ज़िन्दगी की reel में
कोई cut paste की
option नहीं होती।
सब कुछ निरंतर
play होता रहता है।
किसी director को
action और cut कहने की भी
जरूरत नहीं पड़ती।
संवाद भी लिखित नहीं होते।
और retake भी नहीं लिया जाता।
हर shot को perfect
shot मान लिया जाता है।
किरदार भी acting नहीं करते
बल्कि उन्हें जीना पड़ता है
हर परिस्थिति को
अपनी सूझ बूझ और
क्षमता अनुसार।
जिन्दगी की रील
किसी 70 mm के परदे पर
release नहीं होती।
बल्कि ये तो
किसी theater पर चल रहे
drama की तरह
चलती है live.
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नीरज आहुजा
स्वरचित