Pages
Home
Terms and conditions
Disclaimers
Privacy Policy
Contact us
शुक्रवार, 3 जुलाई 2020
कर्म का प्रतिफल
जीवन में कब, कहाँ,
कुछ भी
होता है
बिना प्रतिफल के।।
जो बोया वही काटा।
जो किया अर्पण
वही है आता
पलटकर चल के।।
कुछ भी नहीं जाता व्यर्थ
जो भी किया,
सोचा, समझा
या कहा गया
होती है सब की
एक प्रतिध्वनि
प्रेम, कुंठा, सम्मान
और छल भी
मिलता है बदले छल के।।
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)