बुधवार, 29 जुलाई 2020

ढोल बजने लगे - Dhol bajne lage


Neerajkavitavali

"ढोल बजने लगे"

बिजलियाँ चमकी, गड़ा गड़ ढोल फिर बजने लगे
चाँद  तारे    गीत  गा  सावन   बुला  भजने   लगे 
आसमां   में  बादलों  का  शामियाना  ओढ़   कर
रात   दिन  महफ़िल   सजाते  नाचने  सजने लगे

अपने ही मन की करना - Apne hi man ki karna


Neerajkavitavali


अपने ही मन की करना

सबकी बातें सुन लो लेकिन, अपने ही मन की करना
राह अगर बतलाए कोई, सोच  समझकर पग  धरना 
भला  बुरा  सब अपने  हाथो, में  ही  होता  है सबका
जैसा   कर्म   करे  है  कोई,  पडे़   उसे  वैसा   भरना