Pages
Home
Terms and conditions
Disclaimers
Privacy Policy
Contact us
बुधवार, 29 जुलाई 2020
ढोल बजने लगे - Dhol bajne lage
"ढोल बजने लगे"
बिजलियाँ चमकी, गड़ा गड़ ढोल फिर बजने लगे
चाँद तारे गीत गा सावन बुला भजने लगे
आसमां में बादलों का शामियाना ओढ़ कर
रात दिन महफ़िल सजाते नाचने सजने लगे
अपने ही मन की करना - Apne hi man ki karna
अपने ही मन की करना
सबकी बातें सुन लो लेकिन, अपने ही मन की करना
राह अगर बतलाए कोई, सोच समझकर पग धरना
भला बुरा सब अपने हाथो, में ही होता है सबका
जैसा कर्म करे है कोई, पडे़ उसे वैसा भरना
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)