गुरुवार, 23 जुलाई 2020

परिंदे-हिंदी कविता, parinde-hindi Kavita

"परिंदे"

उड़े परिंदे
गगन गगन 
रहे मगन
दाना चुगते
भूख मिटाते
नदी किनारे
प्यास बुझाते
बनाते घोंसला 
तिनक तिनका बीन।

parinde


"उम्मीद के परिंदे "

उम्मीद के परिंदे
जब बैठते है
मन की डाल पर
दे जाते है नई राह
नई उमंग, नई तरंग
एक सुकून
आगे बढ़ने के लिए।