बुधवार, 30 सितंबर 2020

मुक्तक : तुम भूल गये - Tum bhool gaye

मुक्तक : तुम भूल गये

Neeraj kavitavali

तुम  भूल  गए  शायद  तुमको, याद नहीं  बीती  बातें
जब जब भी दिन हारा हमने, जब जब भी खाई मातें
चाँद सितारों की चादर को ओढ़ दिया दिन को धोखा
कैसे  हारी  बाज़ी  पलटी,  साथ   बिता   जीती  रातें
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नीरज आहुजा 

मंगलवार, 29 सितंबर 2020

मुक्तक : मुझे धोखा दिया तूने - mujhe dhokha diya tune

मुक्तक : मुझे धोखा दिया तूने 

बह्र - 1222 1222 1222 1222


Neeraj kavitavali


मुझे धोखा दिया तूने, मुझे दिल  से   निकाला है

कि तेरी  बेरुख़ी  ने  दिल ये  मेरा  तोड़  डाला है

कभी होता था जिन होठों से मेरे नाम का सजदा

उसी होठों से तू अब गैर की जपती  क्यूँ माला है

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नीरज आहुजा 

शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

छोटीकविता : नीम-वा-दरिचा

छोटीकविता : नीम वा दरीचा

Neeraj kavitavali

तू कटी पतंग-सी

उड़ रही है 

उन्मुक्त गगन मे। 

मैं ठहरा इक डोर से बंधा हुआ,

बस तुझे सोच कर ही, 

सुकून पा लेता हूँ। 

तू चल रही है अपने संग, हर पल, 

नये रंग, नयी ख्वाहिशें लेकर 

मैं किसी बदरंग-सी

जर्जर इमारत के

नीम वा दरीचे से

तुझे देखकर 

दिल बहला लेता हूँ।

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नीरज आहुजा 

सोमवार, 21 सितंबर 2020

opinion : कंगना बनाम महाराष्ट्र सरकार - kangana ranaut vs maharashtra govt

कंगना बनाम महाराष्ट्र सरकार - kangana ranaut vs maharashtra govt


1. कंगना ने मुम्बई को pok तब बोला जब उसे मुम्बई आने पर संजय राऊत द्वारा धमकी दी गई। फिलहाल प्रतिबंध तो pok जाने पर ही है ना। अगर किसी सरकार के उच्च पद पर आसीन राज्य सभा सांसद द्वारा किसी नागरिक को उसके अपने घर आने पर धमकी दी जाती है तो वह क्या बोलेगा? स्वाभाविक सी बात है इसी प्रकार बोलेगा। 

Neeraj kavitavali


2. कंगना को उसके आफिस पर अवैध निर्माण का नोटिस भेजा गया और 24 घंटो के भीतर ही सब तहस नहस कर कर दिया। यहाँ तक कि फर्नीचर भी नहीं छोड़ा गया जिसे कार्यवाही के दौरान हटाया जा सकता था। इतनी त्वरित कार्यवाही शिवसेना ' महाराष्ट्र सरकार' के दिमागी दिवालियापन को दर्शाती है। 
सरकार कोई व्यक्ति नहीं होता लेकिन उसका शीर्ष नेतृत्व किसी व्यक्ति द्वारा ही किया जाता है। और इससे प्रतीत होता है शिवसेना ' महाराष्ट्र सरकार का नेतृत्व कितनी छोटी सोच का है। 

3. अगर कंगना घर तोड़ा तो साथ वाला डिजाइनर मनीश का घर क्यों छोड़ा? 
और उसे जवाब देने के लिए 7 दिन का समय क्यूँ?

जबकि कंगना को तो एक दिन का समय भी नहीं मिला।
यह बताता है कि शिवसेना ने सत्ता को हथियार बना कर एक अकेली लड़की पर प्रहार किया है। कभी सोचकर देखना किसी राज्य की सरकार अगर एक अकेली लड़की के पीछे पड़ जाए तो उसकी अवस्था कैसी होगी? 

कंगना ने अपने डर का सही आंकलन किया और शिवसेना 'महाराष्ट्र सरकार ने कंगना का आफिस तोड़ कर यह साबित भी कर दिया कि यह 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर' जैसा है। अगर केंद्र में या हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होती तो शायद कंगना के साथ इससे भी बुरा बर्ताव होता। 

लेकिन जो हुआ अच्छा ही हुआ क्यूँकि अब शिवसेना जिसे मैं "naughty सेना" कहना चाहूंगा कि औकात कंगना की जूती की नोक के बराबर भी नहीं रही। 
एक समय था जब शिवसेना के राष्ट्रवाद पर गर्व किया जाता था और एक अब का समय जब उसे "Naughty सेना" कह कर उस पर थूकना तो दूर, हम उसकी तरफ देखना भी नहीं चाहते। 

4. शिवसेना 'महाराष्ट्र सरकार' का यह रवैया कंगना के विरूद्ध इसलिए है क्योंकि 

👉 कंगना ने बालीवुड में ड्रग्स के खिलाफ बोला जिसमें कि टाॅप लोगों का नाम सामने आये।
👉 सुशांत के लिए आवाज़ उठाते हुए मुम्बई पुलिस को कठघरे में लिया क्योंकि मुम्बई पुलिस सही ढंग से जांच नहीं कर रही थी।

शिवसेना सत्ता की भूखी है जिसने की सत्ता की भूख के लिए राष्टवाद को पाँव की जूती बना डाला। लेकिन इसी के साथ शिवसेना जिसका नया नाम "naughty सेना" है, भी हमारे पाँव की जूती के नीचे चिपकी हुई गंदगी के सिवा और कुछ नहीं। जो कि आने वाले समय में एक अतीत बनकर रह जाएगी। 

5. 
👉 मुम्बई पुलिस ने सुशांत केस में कार्यवाही क्यों नहीं की?
👉 उसे रफा दफा करना क्यों चाहा?
👉 सुशांत केस जितना बड़ा ड्रग्स का एंगल निकला है उससे मुम्बई पुलिस संदेह के घेरे में है।

मतलब कहा तो यह गया कि यह सीधा सादा आत्महत्या का केस है लेकिन वास्तविकता तो इसके बिल्कुल उलट निकली। जहाँ पर एक इन्सान को तिल तिल करके मारा गया है।

6.
👉 दिशा सालियान केस में भी मुम्बई पुलिस ने कुछ नहीं किया।
👉 इसमें भी जो सच सामने आया है वो बहुत ही गंदा और भयानक है। अगर सुशांत के केस की cbi inquiry ना होती तो शायद 'दिशा सालियान' के बारे में कुछ भी सामने ना आता। 

मतलब यहाँ तो मुम्बई पुलिस की बेशर्मी की हद हो गई। जाहिर सी बात है इसमें भी बड़े बड़े नाम शामिल हैं।

उम्मीद करता हूँ इस बार मछलियों से ज्यादा मगरमच्छ पकड़े जाएंगे। 

7. करण जोहर की पार्टी का जो विडियो वायरल हुआ उसमें साफ नज़र आ रहा है कि सभी लोगों ने ड्रग्स ली हुई है। लेकिन शिवसेना ' महाराष्ट्र सरकार' इसकी जांच करने की बजाय बदले की भावना के चलते सत्ता का दुरुपयोग करते हुए अध्ययन सुमन के उस विडियो को आधार बनाकर ड्रग्स की जांच करना चाहती है जो कि 2015 का है। जिसमें कि सिर्फ कंगना पर इल्ज़ाम लगाया गया। कंगना तो खुद स्वीकार कर चुकी है कि एक समय था जब वह गलत लोगों के चंगुल में फस गई थी। जितनी बेबाकी से कंगना ने अपने अतीत के बारे और हर उस विवाद के बारे में खुलकर बात की। कंगना की ज़िन्दगी एक खुली किताब की तरह है जिसमें कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। 

लेकिन करण जौहर की पार्टी के विडियो में तो सब सामने साफ साफ दिखाई दे रहा है कि इन लोगों ने ड्रग्स ली हुई है। एक जगह तो टेबल पर white powder दिखाई भी दे रहा है। इतना सब होने के बाद भी जो लोग यह कह रहे कि मुम्बई को बदनाम किया जा रहा है। यह उनके लिए ही बहुत शरम की बात है। 

8. जब नाम तो मुम्बई, शिवसेना और बालीवुड का लिया जा रहा है तो लोग यह कयों कह रहे है कि "पूरे स्टेट को बदनाम क्यों किया जा रहा है?" 
मुम्बई कोई स्टेट है क्या? मुझे तो लगा था 'महानगर' है।

9. जितने लोग भी यह कह रहे हैं कि मुम्बई या बालीवुड को बदनाम ना किया जाए तो कृपया करके पहले यह कह कर माफ़ी मांगे कि जो बालीवुड ने पूरे पंजाब को बदनाम किया "उड़ता पंजाब" कह कर वो गलत था। फिर उसके बाद अपनी बात रखें।

10. मुम्बई में ऐसा कौन सा अपराध है जो नहीं होता? जिस्मफरोशी से लेकर नशा खोरो का केंद्र है मुम्बई।

11. "जया बच्चन ने रवि किशन पर पलटवार करते हुए राज्यसभा में बयान दिया कि "जिस थाली में खाया उस थाली में छेद किया " 

तो पहले तो रवि किशन ने ही कह दिया कि कौन सी थाली? कैसी थाली? और अगर थाली में ज़हर है तो उसमें छेद करना जरुरी हो जाता है।

रवि किशन द्वारा जया बच्चन को दिए गए जवाब को छंद बद्ध करते हुए मैं बस यही कहना चाहूंगा। 

जिस थाली  में ज़हर  दिया है, उस थाली में छेद करो
कलाकार  हैं  या  पाखंडी, दोनों   में  अब  भेद  करो
जनता ने विश्वास किया तो, तुमको नायक कह डाला
लेकिन सर चढ़  बैठ  गये  तुम, जैसे चढ़ती  है  हाला
©नीरज, नीरज कवितावली 

और दूसरी बात मैं कहना चाहता हूँ कि बालीवुड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो भी पहचान मिली वो उत्तर भारतीयों जिसमें हिंदी और पंजाबी, दोनों ही लोगों के कारण मिली इस बात को भूलना नहीं चाहिए। उत्तर भारत बालीवुड की रीढ़ की हड्डी है जिस दिन यहाँ के लोगों ने बालीवुड को ना कह दिया उस दिन बालीवुड एक क्षेत्रीय सिनेमा तक ही सीमित रह जाएगा। इसलिये जो लोग अकड़ में है उन्हें उत्तर भारतियों से नफरत करने की बजाय इनका एहसान मानना चाहिए।

आज कल दिग्विजय सिंह का भी एक बयान काफी प्रचलन में है। जिसमें वो कह रहे हैं

"मुम्बई को तो बाहरी लोगों ने बसाया है। स्वयं ठाकरे परिवार भी उतर भारत से है। असल में देखा जाए तो में मुम्बई तो मछुआरों की है" 
फिलहाल तो दिग्विजय सिंह की बात यकीन करने मन नहीं करता लेकिन अगर यह सच है तो महाराष्ट्र, मुम्बई को अपनी जागीर समझना छोड़ दे। नहीं तो मुम्बई में सिर्फ मच्छि बाजार ही नज़र नहीं आएगा। 

12. शिवसेना 'महाराष्ट्र सरकार' को और कुछ सामान्य से भी कम बुद्धि वाले लोगों को कंगना के "तू"  पर आपत्ति है लेकिन संजय राऊत जैसे ओझे व्यक्तिगत वाले व्यक्ति द्वारा कंगना को 'हरामखोर लड़की' कहना सामान्य बात लगा। वाह! रे Naughty लोगों क्या बात है तुम्हारे मानसिक संतुलन की। 

बेशर्मी तो तब और बढ़ जाती है जब संजय राऊत कहता है कि  'हरामखोर' शब्द सामान्य शब्द है और यह प्यार से बोला जाता है जैसे english में बोलते है वैसी ही।

तो महामूर्ख आदमी यह शब्द, जब दो दोस्तों के बीच बोला जाए जिसमें कि bonding हो तब तक ही ठीक रहता है और जहाँ विरोध की बात आए तो यही शब्द इंसान व्यक्तित्व पर प्रहार करता है खासकर तब जब यह किसी महिला को कहे जा रहें हो। 
तो क्या संजय राऊत यह कहना चाहते है कि कंगना का आफिस भी प्यार में ही बुलडोजर से तोड़ा गया। 

और "तू" संदर्भ में मैं यही कहना चाहता कि जब "तू" दो दोस्तों के बीच बोला जाता है तो यह प्यार ही दर्शाता है लेकिन जब यह विरोध में बोला जाता है तो इसका मतलब यही होता है कि अब उसकी नज़र में सामने वाले के लिए कोई सम्मान नहीं रह गया। जिसका घर टूटा उसका "तू" बोलना बहुत सामान्य बात है। बल्कि मैं तो यह कहूँगा कि बहुत कम बोला गया। 

अंत में कंगना ने अपना आफिस तोड़े जाने के बाद उद्भव ठाकरे को जवाब दिया था उसे छंद बद्ध करके लिखना चाहा।

अभी  टूटा   है   घर  मेरा, अहं  तेरा   भी  टूटेगा
कि हाथो से तेरे  इस झूठ  का परचम यह छूटेगा
बना सत्ता को तू  हथियार मुझको  है डराता सुन
घड़ा भरता है जब भी पाप का लाजिम है फूटेगा
©नीरज ' नीरज कवितावली

जय हिन्द, जय भारत

रविवार, 20 सितंबर 2020

मुक्तक : देख कर दुनिया तुम्हारी - Dekh kar duniya tumhari

मुक्तक : देख कर दुनिया तुम्हारी

Neeraj kavitavali

बह्र - 2122 2122 2122 212 

देख  कर  दुनिया  तुम्हारी, थर  थराती  ज़िन्दगी

चोर   आते    लूटते,  अस्मत  बचाती   ज़िन्दगी

बंद   दरवाज़ा   किया  है, डर  बना   दरबान  है

झांकती बस खिड़कियों से, जी न पाती ज़िन्दगी

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नीरज आहुजा

मुक्तक : अकेला आदमी घर का - Akela aadami ghar ka

मुक्तक : अकेला आदमी घर का

Neeraj kavitavali

बह्र-1222 1222 1222 1222

ज़मीं  छत और  दीवारें, वज़न  लगता  नहीं  भारा

अकेला  आदमी   घर   का, उठाता   बोझ है सारा

बदलती रुत भले जितनी, नहीं थकते कदम इसके

किसी दर पर नहीं अटका, लगा हिम्मत का है नारा

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नीरज आहुजा 

शनिवार, 19 सितंबर 2020

मुक्तक : राहें मंज़िल भूल रही - raahen manzil bhool rahi

मुक्तक : राहें मंज़िल भूल रही

Neeraj kavitavali

राहें   मंज़िल  भूल   रही   हैं,  फूलों  ने  सौरभ  छोड़ा

नदियों  ने   इतराकर  अपना, सागर  से   रस्ता  मोड़ा

वात नहीं  रहती  पेडों  पर, पंछी  नभ  से  ओझल  हैं

सांस कहेगी किस दिन यह तन, मोचन में बनता रोड़ा

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नीरज आहुजा 

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

मुक्तक : दिल लगाने आ गये - Dil lagaane aa gaye

 मुक्तक : दिल लगाने आ गये

बह्र - 2122 2122 2122 212

Neeraj kavitavali

शाम  होते  ही  सितारे, टिमटिमाने  आ  गये
चाँद  के  पीछे  पड़े  हैं, दिल लगाने आ  गये
भूलकर कल की पिटाई, छेड़ते हैं आज फिर
खोलते ही खिड़कियों को, आज़माने आ गये
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नीरज आहुजा 

गुरुवार, 17 सितंबर 2020

ग़ज़ल : याद में नग़्मगी नहीं होती - yaad me nagmagii nhi hoti

 ग़ज़ल 

बह्र- 2122 1212 22 

याद में नग़्मगी नहीं होती

आँख मेरी भरी नहीं होती


तुम अगर ना मुझे मिले होते

मुझसे यूँ शायरी नहीं होती


हसरतें टूट कर बिखरती हैं

अब यहाँ ज़िन्दगी नहीं होती


Neeraj kavitavali

चाँद बनकर न दिल धड़कना तुम

दिल में जब चाँदनी नहीं होती


दिल कहीं और मैं कहीं खोया 

इस तरह बेखुदी नहीं होती


मैं कदम से मिला कदम चलता

तुम अगर सोचती नहीं होती


जब से हो छोड़ कर गये मुझको

मुझसे फिर दिल्लगी नहीं होती


बात कुछ तो अलग लगी तुम में

वर्ना तुम आखिरी नहीं होती

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नीरज आहुजा 

बुधवार, 16 सितंबर 2020

लावणी छंद : ज़हर वाली थाली - zahar wali thali


लावणी छंद : ज़हर वाली थाली

विधान :-

💡लावणी छन्द अर्द्धमात्रिक छन्द है।💡
💡इस छन्द में चार चरण होते हैं, जिनमें प्रति चरण 30 मात्राएँ होती हैं।💡
💡प्रत्येक चरण दो भाग में  विभाजित किया गया है जिसकी यति 16-14 पर निर्धारित होती है। अर्थात् विषम पद 16 मात्राओं का और सम पद 14 मात्राओं का होता है।💡
💡दो-दो चरणों की तुकान्तता का नियम है।💡
💡प्रत्येक च। रण का अन्त सदैव एक गुरु या 2 लघु से होना चाहिये।💡

आईये अब एक प्रयास पर ध्यान दें। 

Neeraj kavitavali

जिस थाली में ज़हर दिया है, उस  थाली में छेद करो।

कलाकार  हैं  या  पाखंडी,  दोनों  में  अब  भेद करो।

जनता ने विश्वास किया तो, तुमको नायक कह डाला।

लेकिन  सर  चढ़  बैठ गये तुम, जैसे  चढ़ती है  हाला।

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नीरज आहुजा 

मंगलवार, 15 सितंबर 2020

ग़ज़ल : जिनकी ऊँची दुकान होती है

 ग़ज़ल : जिनकी ऊँची दुकान होती है


बह्र- 2122 1212 22

जिनकी ऊँची दुकान होती है

तो अकड़ आसमान होती है



मार देते हैं तीर नज़रों के

आँख में क्या कमान होती है


ज़िन्दगी मौत की तरफ़ बहती

मौत जानिब ढलान होती है 


ख़ास कुछ काम भी नहीं होता

काम देखूँ, थकान होती है


टूट जाते हैं इस लिए रिश्ते

तल्ख़ अक्सर ज़बान होती है


छूट दिल यह कभी नहीं पाता

याद ऐसी लगान होती है


हम किनारें हैं मिल नहीं सकते 

इक नदी दरमियान होती है


दिल कहे कुछ दिमाग कुछ, दोनो

में बहुत खींच-तान होती है

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नीरज आहुजा 

सोमवार, 14 सितंबर 2020

मुक्तक : तारों चंदा से पूछा - taron ne chanda se puchha

मुक्तक : तारों ने चंदा से पूछा 

Neeraj kavitavali

तारों  ने   चंदा  से  पूछा,  जब  आकर  बारी  बारी

नाम बता दिलबर का अपने, ना कर हमसे मक्कारी

चांद जमीं की  और इशारा, करके फिर बतलाता है

खिड़की  खोल  मुझे  जो  देखें,  सबसे है मेरी यारी

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नीरज आहुजा 

रविवार, 13 सितंबर 2020

मुक्तक : चाँद अकेला देख - chand akela dekh

 मुक्तक : चांद अकेला देख


Neeraj kavitavali

चाँद अकेला  देख, सितारे,  करते  जब  छेड़ा  खानी

कोई   आँख   मिलाना  चाहे, कोई   करता   शैतानी 

उठा पटक कर आसमान से, जब इनको फेंका जाता

टूटा   तारा   देख   दुआएँ,  मांगे   हम   बन  अज्ञानी

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नीरज आहुजा 

शनिवार, 12 सितंबर 2020

कुकुभछंद : दूर जहाँ तक भी दिखता है - Door jaha tak dikhta hai

कुकुभ छंद 

आज कुकुभ छंद पर अपना पहला प्रयास

विधान:-

💡कुकुभ छन्द अर्द्धमात्रिक छन्द है।

💡इस छन्द में चार पद होते हैं।

💡प्रत्येक पद में 30 मात्राएँ होती हैं।
💡प्रत्येक पद में दो चरण होते हैं। जिनकी यति 16-14 निर्धारित होती है।

💡दो-दो पदों की तुकान्तता का नियम है। 

नोट :- प्रथम चरण यानि विषम चरण के अन्त को लेकर कोई विशेष आग्रह नहीं है। किन्तु, पदान्त दो गुरुओं से होना अनिवार्य है। इसका अर्थ यह हुआ कि सम चरण का अन्त दो गुरु से ही होना चाहिये। आईए अब इस पर एक प्रयास देखें..

Neeraj kavitavali

दूर जहाँ तक भी दिखता है, सममल बंजर धरती है।

सूख  चुके  हैं  दरिया सारे, आशा पल पल मरती है।

ठूंठ हुए  पेडों  से  अपना, छोड़  चुकी है  घर छाया। 

गिद्ध  मंडराते  देख  रहे, जीवित है कब तक काया।

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नीरज आहुजा 

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

मुक्तक : इश्क़ में अक्सर - Ishq me aksar

मुक्तक : इश्क़ में अक्सर


Neeraj kavitavali

बह्र - 2122 2122 2122 212 

इश्क़  में  अक्सर  हमारा,  हाल  होता  है  यही

फैसला  जज़्बात  में   ले,  काम  करते  हैं  वही

छोड़  दें  रिश्ते    पुराने,  ढल   नये किरदार  में

सोच ना पाते कभी यह, क्या गलत है क्या सही

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नीरज आहुजा

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

मुक्तक : तथाकथित मानवतावादी - so called humanitarian

 मुक्तक : तथाकथित मानवतावादी

Neeraj kavitavali

कहते जो आवाज़ उठाओ, चुप बैठे हैं आज सभी
तथाकथित मानवतावादी, झूठों के  सरताज सभी
पहले  से  निर्धारित  मसलों, पर मनमर्जी  से बोलें
नाम  बड़े  दर्शन  छोटे हों, ऐसे उनके  काज  सभी
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नीरज आहुजा 

बुधवार, 9 सितंबर 2020

मुक्तक : पाप का घड़ा - paap ka ghada

 मुक्तक : पाप का घड़ा


Neeraj kavitavali

बह्र - 1222 1222 1222 1222
अभी   टूटा    है  घर  मेरा, अहं  तेरा  भी  टूटेगा।
कि हाथोम से तेरे इस झूठ का परचम यह छूटेगा।
बना सत्ता को तू हथियार  मुझको है  डराता सुन, 
घड़ा भरता है जब भी पाप का लाज़िम है फूटेगा।

बदले की कार्यवाही के चलते शिवसेना के इशारे पर मुम्बई नगर कार्पोरेशन द्वारा कंगना रानावत के आफिस पर गैरकानूनी और असंवैधानिक ढंग से की गई तोड फोड़ पर एक मुक्तक। 

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नीरज आहुजा

मंगलवार, 8 सितंबर 2020

मुक्तक : साथ ना तुम मांगना - sath na tum mangna

 मुक्तक : साथ ना तुम मांगना

Neeraj kavitavali

बह्र - 2122 2122 2122 212 
बेड़ियाँ  लगती  अगर  हैं,  साथ  ना  तुम  मांगना
हाथ   में  अपने   हमारा  हाथ   ना   तुम  मांगना
सौंप अपना सस दिया शासन नहीं तुम पर किया
है  मिला  आरोप  हमको,  गाथ  ना  तुम  मांगना
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नीरज आहुजा 


सोमवार, 7 सितंबर 2020

मुक्तक : शाम धीरे से गुज़रना - shaam dheere se guzarna

मुक्तक : शाम धीरे से गुज़रना

Neeraj kavitavali

बह्र - 2122 2122 2122 212

शाम  धीरे  से  गुज़रना,  रात  रहती  है  उधर

ताक  में  बैठी  तुम्हारे,  वो  लगा  पैनी  नज़र

चाँद ने  आकर कहा, कुछ  देर पहले कान में

रात की  बदमाशियों की, मैं तुम्हें कर दूँ ख़बर

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नीरज आहुजा 

रविवार, 6 सितंबर 2020

मुक्तक : बात क्यों नहीं करते - Baat kyu nhi karte

मुक्तक : बात क्यों नहीं करते 

Neeraj kavitavali


बह्र - 212/1222/212/1222

हात के बढ़ाने पर हात क्यों नहीं  करते

ठीक सरहदों पर हालात क्यों नहीं करते

गोलियाँ  चलाकर  मज़लूम मार देते हो

और पूछते हो फिर बात क्यों नहीं करते

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नीरज आहुजा 

शनिवार, 5 सितंबर 2020

शिक्षक दिवस पर मुक्तक - shikshak divas par muktak

 शिक्षक दिवस पर मुक्तक


Neeraj kavitavali

बह्र-1222 1222 1222 1222
बुरे अच्छे में  अंतर क्या, सिखाया आपने हमको
अटक  जाते जहाँ  पर थे, बताया आपने हमको
कि अक्षर ज्ञान  से ले उच्च शिक्षा तक  पढ़ाया है
उठाकर  सर चले क़ाबिल, बनाया आपने हमको
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नीरज आहुजा

शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

कोरोना पर मुक्तक - corona par muktak

 कोरोना पर मुक्तक

Neeraj kavitavali

किसे पता था इक दिन ऐसा भी, आएगा दुनिया में
जीना  मरना  एक बराबर, हो   जाएगा  दुनिया  में
लेन-देन  छूटेगा  सब  से,  जन-जन  में  दूरी  होगी
संकट  कोरोना  जैसा इक, जब  छाएगा  दुनिया में
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नीरज आहुजा

गुरुवार, 3 सितंबर 2020

ज़िन्दगी पर मुक्तक zindagi par muktak

 जिंदगी पर मुक्तक

Neeraj kavitavali
बह्र- 2122/2122/2122/212
देखने  में  तो  बहुत  आसान   है  यह  ज़िन्दगी
पर  मगर  सीधी  खड़ी  चट्टान है  यह  ज़िन्दगी
होसला बिन जी नहीं सकते यहाँ हरगिज कभी
जंग जीने  की,  खुला  एलान  है  यह  ज़िन्दगी
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नीरज आहुजा 


बुधवार, 2 सितंबर 2020

मुक्तक : सितंबर ले के आया क्या - sitambar kya laya

मुक्तक :सितंबर ले के आया क्या

Neeraj kavitavali

बह्र-1222/1222/1222/1222
सितंबर ले के आया क्या, बताएगा अभी ठहरो
रखा है पोटली  में क्या, दिखाएगा अभी ठहरो
खुशी होगी कि गम होगा, बढ़ेगा दर्द कम होगा
कि बीतेंगे  ये  दिन जैसे, लुटाएगा अभी  ठहरो
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नीरज आहुजा 


मंगलवार, 1 सितंबर 2020

मुक्तक :किताबे-इश्क़ - kitaab e ishq

मुक्तक : किताबे-इश्क़
बह्र - 1222/1222/1222/1222

Neeraj kavitavali

लिए  फिरते है  मजनूँ  जो गुलाबों में नहीं आता
सिखाया जा नहीं सकता निसाबों  में नहीं आता
किताबे-इश्क़ को  सब  चाहते  पढ़ना  मगर ढाई
जो अक्षर  प्रेम का  होता किताबों  में नहीं आता

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नीरज आहुजा