मुक्तक : पाप का घड़ा
बह्र - 1222 1222 1222 1222
अभी टूटा है घर मेरा, अहं तेरा भी टूटेगा।
कि हाथोम से तेरे इस झूठ का परचम यह छूटेगा।
बना सत्ता को तू हथियार मुझको है डराता सुन,
घड़ा भरता है जब भी पाप का लाज़िम है फूटेगा।
बदले की कार्यवाही के चलते शिवसेना के इशारे पर मुम्बई नगर कार्पोरेशन द्वारा कंगना रानावत के आफिस पर गैरकानूनी और असंवैधानिक ढंग से की गई तोड फोड़ पर एक मुक्तक।
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नीरज आहुजा
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