गुरुवार, 20 अगस्त 2020

मानो मेरी अब - Maano meri ab

 मानो मेरी अब 

दस्तक देते हाथ थके
बोल बोल कर लब
खोलो दिल का दरवाज़ा 
मानो मेरी अब

Neeraj kavitavali

रोज तुम्हारी राहों में
लेकर अपना दिल आता
गीत प्रेम के लिखता था
गीत प्रेम के हूँ गाता
कब तलक सताओगे
मीत बनोगे मेरे कब

खोलो दिल का दरवाज़ा 
मानो मेरी अब

चंदा मेरा यार बन गया 
तारों से हो गई दोस्ती
तुम होती तो अच्छा होता
मिलकर करते मस्ती
चाँद सितारे शबनम 
करते सिफारिश सब

खोलो दिल का दरवाज़ा 
मानो मेरी अब

समय गवाना,पछताना
मानोगे नहीं बात
मैं देता हूँ प्रेम प्रस्ताव
तुम देते आघात 
जानोगे क्या प्रीत मेरी
मर जाऊंगा तब

खोलो दिल का दरवाज़ा 
मानो मेरी अब

पल पल करके कितने ही
गुजर गए दिन साल
कभी तो मुझसे पूछा होता
तुमने मेरा हाल
बुलबुला नहीं पानी का
जो जाता पल में दब

खोलो दिल का दरवाज़ा 
मानो मेरी अब

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 नीरज आहुजा 

स्वरचित