शनिवार, 13 जून 2020

गुजर जाओ चुपचाप - chup chaap guzar jao

चुपचाप गुजर जाओ
हलके से होले से
दबे पांव
करीब से मेरे
मुझे पता भी न चले
कि तुम कब आए थे
और कब चले गए।
तुम भी ओढ़ लो
मेरी खुशियों का चोला
और हो जाओ
मेरी खुशियों की तरह
ही मुक्तसर। 
ये कब आती है और
कब चली जाती है
मुझे पता ही नहीं चलता।

महिना मोहब्बत वाला - mahina mohobbat wala

वैलेंटाइन स्पैशल

महीना मोहब्बत वाला।
बने हर कोई दिल वाला।।

बन ठन के निकले हैं घर से।
समझे है, खुद को नन्दलाला।।

सूनी पड़ी है मोहब्बत कि गलिया।
हाथों में लेके फिरे प्रीत का प्याला।।

बन्द कमरा जहां सूरज कि पहुंच नहीं।
इन तमाम अन्धेरा को कहे हैं उजाला।।

~नीरज आहुजा 

स्वरचित