शनिवार, 13 जून 2020

गुजर जाओ चुपचाप - chup chaap guzar jao

चुपचाप गुजर जाओ
हलके से होले से
दबे पांव
करीब से मेरे
मुझे पता भी न चले
कि तुम कब आए थे
और कब चले गए।
तुम भी ओढ़ लो
मेरी खुशियों का चोला
और हो जाओ
मेरी खुशियों की तरह
ही मुक्तसर। 
ये कब आती है और
कब चली जाती है
मुझे पता ही नहीं चलता।

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