जैसा चाहा वैसा जीवन, जब यह ना बन पाता है
उम्मीदें पर पानी फिरता, दुख से जुड़ता नाता है
ले लेते अवसाद जनम फिर चिंता में डूबे रहते
क्या पाया क्या खोया में ही, समय गुजरता जाता है
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नीरज आहुजा