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रविवार, 28 जून 2020
वर्चस्व की चाहत- varchasv ki chahat
तुम्हें मेरे
मंन के तंत्र पर
भरोसा नहीं
तुम चाहती हो
आपातकाल
जहाँ सिर्फ चले
तुम्हारी ही मन मर्जी
तुम्हारा ही वोट
तुम्हारा अधिकार।
तुम्ह पसंद नहीं
मुझे कोई और देखे, छूए
या बात करे
मैं जानता हूँ
तुम चाहती हो मुझपर
वर्चस्व अपना
सदा सदा के लिए।
नीरज आहुजा
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