बुधवार, 24 जून 2020

दल और दिल - dal aur dil me antar


dal aur dil me antar

प्यार और राजनीति दोनों में
यहीं तो फर्क है।
'दल' हार जाएंगे
तो कर लेंगे गठबंधन, 
बना लेंगे सरकारें, 
करेंगे राज। 
मगर जब 'दिल' हारेगा
तो होगा बिखराव, 
टूटेंगे रिश्ते, बहेंगे आँसूं,
होगा असहनीय दर्द। 
'दल' बातों को दिल पर नहीं लेते,
'दिल' लेता है। 
'दल' प्रगतिशील होते है
और 'दिल' रुढ़िवादी
परम्पराओं में बंधा हुआ
एक ढकोसले बाज। 
'दल' और 'दिल' के शब्द में
महीन सा फर्क
दोनों के व्यवहार
और आचरण में
कितना फर्क कर देता है, 
कि दोनों एक दूसरे के
विपरीत नजर आने लगते है।

~नीरज आहुजा 
स्वरचित, सर्वाधिकार सुरक्षित