मंगलवार, 21 जुलाई 2020

पेड़ की छाँव - ped ki chhaanv


Neeraj kavitavali

"पेड़ की छाँव"

छूट रहा था
बदन से पसीना। 
सर पर सूरज और
जेठ महिना ।
चल चल कर
थक गए थे पाँव।
दो घड़ी सुकून के लिए
 बैठा पेड़ की छाँव ।

नीरज आहुजा
स्वरचित