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शनिवार, 4 जुलाई 2020
प्यार की ताक़त - pyar ki takat
बह्र: 2122 2122 2122 212
सर झुका छोटा नहीं होता कभी, जो मीत हो
प्यार वो ताक़त कि जिसमें हार कर भी जीत हो
दुश्मनी टिकती नहीं है सामने इसके कभी
चाहतों को दे जगा, कितना भले विपरीत हो
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