रविवार, 13 सितंबर 2020

मुक्तक : चाँद अकेला देख - chand akela dekh

 मुक्तक : चांद अकेला देख


Neeraj kavitavali

चाँद अकेला  देख, सितारे,  करते  जब  छेड़ा  खानी

कोई   आँख   मिलाना  चाहे, कोई   करता   शैतानी 

उठा पटक कर आसमान से, जब इनको फेंका जाता

टूटा   तारा   देख   दुआएँ,  मांगे   हम   बन  अज्ञानी

----—----—---

नीरज आहुजा