रविवार, 20 सितंबर 2020

मुक्तक : देख कर दुनिया तुम्हारी - Dekh kar duniya tumhari

मुक्तक : देख कर दुनिया तुम्हारी

Neeraj kavitavali

बह्र - 2122 2122 2122 212 

देख  कर  दुनिया  तुम्हारी, थर  थराती  ज़िन्दगी

चोर   आते    लूटते,  अस्मत  बचाती   ज़िन्दगी

बंद   दरवाज़ा   किया  है, डर  बना   दरबान  है

झांकती बस खिड़कियों से, जी न पाती ज़िन्दगी

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नीरज आहुजा

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