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सोमवार, 6 जुलाई 2020
तुम्हें देखा नहीं जब से - tumhe dekha nhi jab se
तुम्हें देखा नहीं जब से, तुम्हारी याद आती है
यही इक चीज जो दिल में तुम्हारे बाद आती है
भले तुम रोक लो कितना, तुम्हारा बस नहीं चलता
तुम्हारी कैद से होकर मगर आजाद आती है
बह्र - 1222 1222 1222 1222
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