रविवार, 18 जुलाई 2021

corona par muktak : Dekh kar man ro rha


Neeraj kavitavali

मार  कोरोना  हमें  क्यूँ,  पी लहू  खुश  हो  रहा।

काल की  छायी  घटा, जन और जीवन खो रहा।

दें भला कब  तक  दिलासा हौसला कर चुप रहें

अब सहन  होता नहीं  यह, देख कर मन रो रहा।

******************

******************

नीरज आहुजा

यमुनानगर (हरियाणा)

1 टिप्पणी: