शनिवार, 1 अगस्त 2020

कौन चाहता सम करना - kon chahta sam karna

Neeraj Kavitavali

"कौन चाहता सम करना"

ऊँची  कर  आवाजें  अपनी, दूजे  की  मद्धम करना
शौर शराबे तले  दबा सच, झूठ जिता परचम करना 
सब  ऐसी  दुनियादारी  में, हार  जीत  में  उलझ गए 
सब  चाहें  वर्चस्व  जमाना, कौन चाहता  सम करना

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नीरज आहुजा 
स्वरचित 

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