Pages
Home
Terms and conditions
Disclaimers
Privacy Policy
Contact us
शनिवार, 1 अगस्त 2020
कौन चाहता सम करना - kon chahta sam karna
"कौन चाहता सम करना"
ऊँची कर आवाजें अपनी, दूजे की मद्धम करना
शौर शराबे तले दबा सच, झूठ जिता परचम करना
सब ऐसी दुनियादारी में, हार जीत में उलझ गए
सब चाहें वर्चस्व जमाना, कौन चाहता सम करना
--------
नीरज आहुजा
स्वरचित
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें