दोहा-मुक्तक
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खेल खेल में खो दिया जीवन यह अनमोल।
भरी जवानी प्यार में देता सारी रोल।
आई लाठी हाथ में, मुँह से कहता राम
सांसों की टूटी लड़ी, कुछ ना निकले बोल।
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नीरज आहुजा
यमुनानगर (हरियाणा)
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