सोमवार, 6 जून 2022

मुक्तक : पहले खुद को तो बदलो pahle khud ko to badlo

मुक्तक : पहले खुद को तो बदलो

(विधान-लावणी छंद) 

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नीरज कवितावली


मैल चढ़ी  होती  सूरत  पर, शीशे   पर  आरोप   मढ़ो।

नीचा  दिखलाने   को   सारे,  क्यूँ  झूठे  आरोप  गढ़ो।

दुनिया यह बदलेगी  तब ही, पहले ख़ुद को  तो बदलो

जिसे पढ़ाना चाहो सबको, खुद भी तो  वह पाठ पढ़ो।

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नीरज आहुजा

यमुनानगर (हरियाणा) 

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