मुक्तक : दिल सुधरता नहीं
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बह्र- 2122-2122-2122 212
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गीत गाता इश्क़ के तो दर्द के गाता कभी।
बाज अपनी हरकतों से दिल नहीं आता कभी।
टूटना मंज़ूर इसको, छोड़ता ना आशिक़ी
दिल सुधर जाए हमारा हो नहीं पाता कभी।
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नीरज आहुजा
यमुनानगर ( हरियाणा)
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